जौनपुर। रमजान के पवित्र महीने में अल्लाह ने हमें एक ऐसी रात दी है जिसे लैलतुल क़द्र कहते हैं। यह बातें मौलाना अहमद नवाज़ इमाम ए जुमा शाही अटाला मस्जिद ने बताते हुए कहा कि लैलतुल क़द्र हमें इनाम के तौर पर मिली है। लैलतुल अरबी शब्द जिसका मतलब रात होता है जबकि क़द्र का मतलब सम्मान, परहेजगारी, तकवा, अदब आदि होता है, क्योंकि ये रात अन्य रातों की उपेक्षा बड़ी है, इसलिए इस रात को लैलतुल क़द्र कहते हैं। ऐसे तो पवित्र माह रमजान का पूरा महीना आख़िरत की कमाई का ज़रिया है, फिर भी इस महीने के आखिरी दस दिन और इन दस दिनों मे लैलतुल क़द्र एक विशेष महत्त्व और अलग स्थान रखता है जो हजार महीनों से बेहतर है। यानी इस रात की इबादत का शवाब एक हजार महीने की इबादत से भी जायदा है।
मौलाना अहमद ने कहा कि हज़रत मोहम्मद मुस्तफा स•अ•व• का बयान है कि जो शख्स लैलतुल क़द्र में ईमान की हालात में और शवाब की नियत से कयाम करता है तो उसके सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। वहीं आयशा र•अ• की एक हदीस है जिसमें वह फरमाती हैं कि ये दुआ खूब मांगनी चाहिए कि या मेरे रब तू बहुत माफ़ करने वाला है और माफ करना तुझे पसंद है। तू मुझे माफ कर दे।