Monday, April 29, 2024
No menu items!

मदिरा में है विष भरा हुआ

मदिरा में है विष भरा हुआ
दानव बन कर ऐ मानव! तू मदिरा से इतना प्यार न कर।
मदिरा में है विष भरा हुआ, इसका इतना सत्कार न कर।
जो मदिरा रस का पान करें, वे नर दानव कहलाते हैं।
है झूठ धारणा यह उनकी, पीकर जो जी बहलाते हैं।
आसुरी वृत्तियों में बंधकर, मानव से बनते हैं दानव।
पीकर गिर पड़ते नाली में, लगते सड़कों पर सोते शव।
सुन ले तू कान खोल इतना, मदिरा है तेरा सर्वनाश।
यह बीज कलह का बोती है, हरती आशा करती निराश।
पीते जो नियमपूर्वक है मदिरा, तू ले यह सर्वदा जान सदा।
उनका तन मन धन लूट जाता, उन पर आती भारी विपदा।
मद्यप है जाता जहां कहीं, सांसों से विष बरसा करता।
जो भी आता उसके समीप, वह जीवित हो कर भी मरता।
बहके कोई भी कहीं नहीं, हो नशा बन्द हो सुखी सभी।
विषपान सदृश है सुरापान, छोड़ो उसको अभिलम्ब अभी।
यदि आत्म ग्लानि की ज्वाला में, तुमको जलना है जीवन भर।
यदि निर्धनता के हिमगिर में, तुमको गलना है जीवन भर।
तो सुरापान जारी रखना, विसरा देना यह परामर्श।
अन्यथा सुरा सेवन समाप्त कर, अपना लेना मेरा यह विमर्श।
रामसेवक सिंह यादव
क्षेत्रीय मद्य निषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी
वाराणसी क्षेत्र।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular