जौनपुर। पिछले 4 दशक से पंडित जी रामलीला समिति के इस ऐतिहासिक भरत मिलाप में सहयोग करने वालों की मानें तो इस बार ऐतिहासिकता समाप्त नजर आयी। अहियापुर मोड़ से लेकर ओलन्दगंज स्थित मिलाप मंच तक सड़क के दोनों तरफ विद्युत प्रकाश की व्यवस्था रहती थी तथा जगह—जगह मुख्य चौराहों, तिराहों, नुक्कड़ों पर बड़े—बड़े द्वार बनाये जाते थे लेकिन इस बार एकाध को छोड़कर शेष जगह उपरोक्त व्यवस्था नदारत दिखी।
ऐसे लोगों की मानें तो इस बार विद्युत प्रकाश से सजावट से सहयोग करने वालों को नजरअंदाज किया गया जिसके चलते इस बार के मेले को यह कह सकते हैं कि अंधेरे में बीता ऐतिहासिक भरत मिलाप। चर्चाओं की मानें तो अहियापुर मोड़ से लेकर मुख्य स्थलों सहित मिलाप मंच तक काफी अव्यवस्था दिखी जो कहीं न कहीं आयोजन समिति द्वारा सहयोग देने वालों के प्रति उपेक्षात्मक सोच बतायी जा रही है।