अजय पाण्डेय
जौनपुर। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चतुर्थ दिन का आरंभ आनंद मिश्रा के मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रोच्चारण और प्रभु के नाम के जयकारे से प्रारंभ हुआ। चतुर्थ दिन को कथा व्यास डॉ रजनीकांत द्विवेदी ने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना यह है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निस्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। श्रीमद्भागवत कथा जीवन के सत्य का ज्ञान कराने के साथ ही धर्म और अधर्म के बीच के फर्क को बताती है।
उन्होंने अच्छा जीवन जीने के लिए कुछ सूत्रों का वर्णन करते हुए बताया कि मनुष्य को अच्छा जीवन जीने के लिए एक ही आसान में बैठने का अभ्यास, सूर्योदय से पूर्व (ब्रह्म मुहूर्त में) उठने का अभ्यास, विद्वानों (गुरुजनों) का साथ करना चाहिए और इंद्रियों को वश में करना चाहिए।जीवन से चिंता हटानी है तो प्रभु का चिंतन करना होगा।
श्रीमद् भागवत कथा सुनाते हुए कथा व्यास डॉ रजनीकांत द्विवेदी जी महाराज ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं, वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। कथा व्यास ने कहा कि यदि अपने गुरू, इष्ट के अपमान होने की आशंका हो तो उस स्थान पर नहीं जाना चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो। प्रसंगवश भागवत कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा था।
चौथे दिन कथा व्यास डॉ रजनीकांत द्विवेदी ने गजेंद्र मोक्ष और वामन अवतार की कथा के साथ श्रीराम जन्मोत्सव और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे।
डॉ रजनीकांत द्विवेदी ने कथा की मीमांसा करते हुए कहा कि नंदोत्सव अर्थात श्रीकृष्ण जन्म से पहले नवम स्कंध के अंतर्गत राम कथा सुनाते हुये कहा कि भागवत में श्रीकृष्ण जन्म से पहले राम कथा का वर्णन किया। भागवत कथा के ध्रुव चरित्र, अजमिल एवं प्रहलाद चरित्र के विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ संगीतमय प्रवचन दिए। कथा के साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किये गये।
इस अवसर पर मुख्य यजमान प्रतिमा गुप्ता पत्नी गणेश साहू, पूजा मिश्रा पत्नी संतोष मिश्र और माधुरी देवी पत्नी हीरा लाल मोदनवाल ने कथा का पूर्ण श्रद्धा के साथ कथा का रसास्वादन किया। श्रोता के रूप में श्रीकांत माहेश्वरी जी, सम्मी गुप्ता, संजय केडिया, अखिलेश पांडेय, डॉ ब्रह्मेश शुक्ला, प्रमोद कुमार, संजय पाठक, नीरज उपाध्याय, मनोज गुप्ता, डॉ गंगाधर शुक्ल, कपिल जी, अनुज जी, सोमेश गुप्ता, गोपाल जी, निशाकांत द्विवेदी, आशीष यादव आदि ने कथा का रसपान किया। व्यवस्था प्रमुख आनंद मिश्रा ने बताया कि कथा प्रतिदिन सायं 5 बजे से हरि इच्छा तक चलेगी। संस्थाध्यक्ष शशांक सिंह ने सभी भक्तों के प्रति आभार व्यक्त किया।