Sunday, April 28, 2024
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डेंगू कब, क्यों होता है, क्या है बचाव एवं उपचार?: डा. हरेन्द्रदेव

शुभांशू जायसवाल
जौनपुर। वर्तमान में बढ़ रहे डेंगू के प्रकोप के प्रति लोगों को जागरूक करते हुये वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. हरेन्द्रदेव सिंह ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि डेंगू एक वायरस जनित और मच्छर से फैलने वाला रोग है। ये पास बैठने या छुने से नहीं होता है। लगभग 90 प्रतिशत मामले सामान्य बुखार के होते हैं और बिना किसी खतरे के स्वतः ठीक हो जाते हैं। केवल 5-10 प्रतिशत मामलों में ही कुछ कॉम्प्लिकेशंस आती हैं। सामान्य डेंगू बुखार की मियाद 7 दिन होती है और हर मरीज़ को ठीक होने में लगभग इतना समय लगता ही है। सर्दी लगकर तेज बुखार आना, शरीर में तेज दर्द, उल्टी, भूख न लगना और कमजोरी सामान्य डेंगू के लक्षण है। बुखार 4-5 दिन तेज रहता और कई बार दवां भी बेअसर होती हैं तो चिंता न करें और ठंडे पानी से पूरे शरीर पर पट्टी करते रहें।

डा. सिंह ने बताया कि ऐसी स्थिति में पैरासिटामोल का प्रयोग करें और सब्र रखें। डेंगू की कोई भी विशेष दवा या वैक्सीन नहीं बनी है। लक्षणों के आधार पर ही दवाएँ दी जाती हैं। एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाएँ नुकसान पहुँचा सकती हैं। पानी, अन्य तरल पदार्थ और पौष्टिक आहार लेते रहें। डेंगू में 2 डब्ल्यूबीसी प्लेटलेट्स की मात्रा घटती है जो रोग के आखरी दिनों यानी पाँचवें, छठें—सातवें दिन अधिक कम हो सकती हैं।

8 प्लेटलेट्स डब्ल्यूबीसी का कम होना रोग की सामान्य प्रक्रिया है तो चिंता न करें और छठें—सातवें दिन के बाद ये स्वतः ही बढ़ने लगती हैं। प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता केवल उन्हीं मरीज़ों को ही पड़ती है जिनका प्लेटलेट काउंट 10000-20000 ही रह जाय या किसी अंग से खून बहना शुरू हो जाय। लगभग 10 मामलों में खतरा हो सकता है। बीपी कम होने, ब्लीडिंग होने या बहुत अधिक उल्टी आदि होने पर अपने चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। सबसे जरूरी बात यह है कि मच्छरों से बचाव रखें, ताकि डेंगू ही न हो।

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