गड्ढे में मृत पड़े पशुओं के शव को छोड़ा गया खुला
शव से निकलने वाली दुर्गंध में राहगीर परेशान
विनोद कुमार
केराकत, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के पेसारा गांव में बने निराश्रित अस्थाई गौशाला में लगभग हर हफ्ते किसी न किसी पशु की मौत हो ही जाती है। आलम यह है कि मृत्यु पशुओं को गड्ढे में डाल तो दिया जाता है परंतु उस पर मिट्टी नहीं डाली जाती है जिस कारण दुर्गंध निकलती है। दुर्गंध निकलने से आने—जाने वाले राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस मामले जब मुफ्तीगंज बीडीओ रवि कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में है।
ग्राम विकास अधिकारी को मौके पर भेज दिया गया है। वहीं ग्राम प्रधानपति जयहिंद रसीला ने कहा कि जब भी कोई कार्य करता हूं तो सचिव साफ कहते हैं कि अपने मन का कोई काम मत किया करो। पशुओं की देख—रेख में रखे केयर टेकर को सही समय पर उसका भुगतान कर दिया जाता है, ताकि वह जिम्मेदारी के साथ अपना काम कर सके। केयर टेकर की वजह से कुछ खामियां है जिसे जल्द ही सुधार कर लिया जायेगा। कभी—कभी मैं खुद अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए स्वय गौशाला पहुंच पशुओं को चारा खिलाता हूं। उन्होंने कहा कि गौशाला में बिजली की व्यवस्था नहीं है। साथ ही गौशाला परिसर में लगी समरसेबुल को तीन बार अज्ञात लोगों ने चोरी कर ली जिसकी तहरीर थाने पर दी गई हैं, मगर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी को अवगत कराना चाहता हूं कि गौशाला में बिजली व्यवस्था जल्द से जल्द करवा दिया जाय, ताकि पशुओं को पानी की समुचित व्यवस्था हो सके। उपजिलाधिकारी नेहा मिश्रा ने कहा कि मामला संज्ञान में है। मुफ्तीगंज बीडीओ को अवगत करा दिया गया है। गड्ढे में पड़े शव पर मिट्टी न डालने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह गलत है। अगर गड्ढे में पशुओं के शव पड़े है तो उस पर मिट्टी डालकर पाट देना चाहिए।
बता दें कि गायों के प्रति उनकी इस संवेदनशीलता का ही नतीजा है कि राज्य में सरकार बनने के बाद से ही गायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और उनकी देखभाल के लिए कई फ़ैसले लिए गए। गौशालाएं बनवाने के निर्देश दिए गए और बजट में अलग से इसके लिए प्रावधान किया गया लेकिन राज्य का शायद ही कोई ऐसा इलाक़ा हो जहां से आए दिन गायों-बछड़ों के मरने की ख़बर न आती हो, वह भी भूख से मरने की।