Sunday, April 28, 2024
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राजनीतिक प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी के व्यापक प्रतिरोध हमारे लोकतंत्र की सच्चाई: अनीता

आनन्द यादव
जौनपुर। इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी और उत्तर प्रदेश डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट की ओर से ज़मीनी स्तर पर सार्वजनिक नेतृत्व में प्रतिभागिता के लिए प्रयासरत 60 से अधिक महिला एवं पुरुष नेतृत्व कर्ताओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण शिविर का आयोजन मछलीशहर स्थित शिवगोविंद इंटर कालेज में किया गया था। इस मौके पर इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी दिल्ली की सदस्य अनीता ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और सबसे बड़ी चुनाव प्रक्रिया के लिए तैयार रहता है। हमारे संविधान के लागू होने के लगभग 70 वर्षों के बाद, राजनीतिक न्याय और अवसर की समानता को सुरक्षित करने के लिए इसकी प्रस्तावना में पवित्र प्रतिज्ञा केवल आंशिक रूप से ही पूरी हुई है। महिलाओं ने खुद को प्राकृतिक सामुदायिक निर्माता के रूप में दिखाया है, जिसमें धारणा, अंतर्ज्ञान और सहानुभूति की आंतरिक भावना है जो उन्हें लोगों की समस्याओं की सर्वोत्तम पहचान करने, पर्याप्त समर्थन प्रदान करने और पोषण करने वाले नेताओं के रूप में कार्य करने की अनुमति देती है। कुछ सक्षम कानूनी प्रावधानों के बावजूद, सामाजिक और आर्थिक ताकतें महिलाओं को राजनीति से दूर रखती हैं। उन्होंने कहा कि ज़मीनी स्तर से परे, विधान सभाओं और लोकसभा से संबंधित मामलों में महिलाओं के खिलाफ चुनौतियां और भी अधिक स्पष्ट हैं। इस उच्च स्तर की चुनावी राजनीति में राजनीतिक दल, उनकी सभी संगठनात्मक और वित्तीय ताकत के साथ कहीं अधिक प्रमुख हैं।
चुनावी राजनीति की सावधानीपूर्वक गणना का अर्थ है कि पार्टियां आमतौर पर “जीतने योग्य” के रूप में देखी जाने वाली सीटों से महिलाओं को उम्मीदवारी देने के लिए तैयार नहीं होती हैं, क्योंकि इन्हें लिंग तटस्थ सीटों के रूप में नहीं, बल्कि पुरुषों के गढ़ के रूप में देखा जाता है। महिलाओं को अक्सर अनिश्चित सीटों से उम्मीदवारी दी जाती है। उन्होंने बताया कि हम देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने हेतु समावेशी राजनीति के मुद्दे पर तटस्थ संस्थान हैं जो राजनीति में इच्छुक लोगों को तकनीकी मदद करते है। इस मौके पर पूर्व विधायक लाल बहादुर यादव ने कहा कि इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी के प्रयास देश के लोकतंत्र को समावेशी बनाने वाले हैं। प्रशिक्षण का संयोजन अजित यादव, सिकंदर बहादुर मौर्य एवं प्रकाश चंद्र ने किया।

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